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वार्ड नम्वर 11 में लगाया गया मेहंदी कैम्प


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चंडीगढ़: देशभर में वीरवार को सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत बड़ी ही धूमधाम से मना रही हैं। महिलाओं के जीवन में करवा चौथ बहुत ही महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। सुहागिन महिलाएं आज के दिन अपने पति की दीर्घायु और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए करवा चौथ का उपवास रखती हैं। सुहागिन महिलाएं हाथों में मेहंदी तथा 16 श्रृंगार कर इस पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाती हैं। करवाचौथ के पावन पर्व पर महिलाओं के लिए आज बुधवार को वार्ड नंबर 11 के कम्युनिटी सेन्टर में मेंहदी प्रोग्राम का आयोजन किया गया। इस मेहंदी कैम्प में लगभग 350 से ज्यादा महिलाओं और लड़कियों ने पहुंचकर मेंहदी लगवाई। महिलाओं के हाथों में प्रोफेशनल मेहंदी डिज़ाइनर गीतांजलि टीम द्वारा लगाई गई।

इस दौरान गरीब परिवार की भी कई लड़कियाँ यहां मेहंदी लगवाने पहुंची। इस प्रोग्राम में कई लड़कियाँ दूर दूर से पहुंची थी, जिन्होंने इस शिविर में मनपसंद मेहंदी निशुल्क लगवाई और आयोजकों को इस आयोजन के लिए बधाई दी।


इस मौके पर मंडल प्रधान सुमिता कोहली ने बताया कि करवाचौथ का पावन पर्व पूरे भारत वर्ष में महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखकर मनाती हैं। इस व्रत का महत्व महिलाओं के साथ पुरुषों के लिए भी खास रहता है।


उन्होंने कहा कि इस आयोजन से कई लोगों से मुलाकात होने के साथ ही इस पवित्र पर्व में उन्होंने अपना छोटा सा योगदान देने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि आगे भी वो इस तरह के आयोजन महिलाओं के लिए करती रहेंगी, ताकि गरीब लड़कियों को अन्य आयोजनों का लाभ मिल सके।


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सुमिता कोहली ने आगे कहा कि महिलाएं अपने पति के लिए व्रत रखकर उसकी लंबी उम्र की कामना करती हैं. भले ही हिंदू धर्म में इस त्योहार का विशेष महत्व हो, लेकिन कई मायनों में ये रिश्ते को मजबूत बनाने का काम भी करता है। इसी कारण खास दिन पर पति और पत्नी का एक-साथ होना जरूरी होता है।

यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। वह अपने पति की लंबी उम्र और आयु के लिए उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए इस व्रत को रखती हैं। करवा चौथ का व्रत इस प्रकार रखा जाता है कि वह पूरे दिन भर में कुछ भी नहीं खाती और पीती हैं। औरतें सिर्फ अपने पति को सम्मान देने के लिए और उनकी आयु को लंबी करने के लिए इस व्रत को बहुत ही भावपूर्ण के साथ रखती हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह व्रत इसीलिए रखा जाता है क्योंकि सावित्री अपने पति के प्राणों को यमराज से बचा कर वापिस ले आई थी। तभी से करवा चौथ मनाई जाती है और इसकी विधि विधान द्वारा पूजा करी जाती है। रात को चंद्रमा देखकर उस को अर्घ्य दिया जाता है, इसके पश्चात ही महिलाएं भोजन करती हैं।

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