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सरकार ने आम घरों के बच्चों के डाक्टर बनने पर लगाई पाबंदी - आप


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चंडीगड़: पंजाब सरकार द्वारा सरकारी मैडीकल कालेजों की फीसों में 70 से 80 प्रतिश्त वृद्धि कर असिद्धे तरीके से आम घरों के बच्चों के डाक्टर बनने पर ही पाबंदी लगा दी है, क्योंकि आम घरों के बच्चे इतनी मोटी फीसों अदा नहीं कर सकते।     चण्डीगढ़ में मीडिया को संबोधन करते हुए बरनाला से विधायक मीत हेयर, पंजाब के महा सचिव दिनेश चड्ढा और पंजाब के यूथ प्रधान मनजिन्दर सिंह सिद्धू ने कहा कि बहुत ही हैरानी की बात है कि बाबा फरीद मैडीकल यूनिवर्सिटी के वायस चांसलर यह बयान दे रहे हैं कि जब प्राईवेट स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई के लिए माता-पिता लाखों रुपए खर्च करते हैं तो डाक्टर बनने के लिए भी अदा कर सकते हैं। जिस का मतलब यह है कि अब प्राईवेट स्कूलों में मोटी फीसें अदा करने वालों को ही सरकार डाक्टर बनाऐगी। दूसरी तरफ सरकारी और छोटे स्कूलों में पढऩे वाले गरीब, दलित और मध्य वर्गीय घरों के बच्चों को डाक्टर बनने का मौका भी नहीं दे रही बेशक वह कितने भी होशियार और होनहार क्यों न हों।     उन्होंने कहा कि 2010 में सरकारी कालेजों की एम.बी.बी.एस की फीस 13 हजार रुपए वार्षिक थी जो 10 साल बाद आज 12 गुणा बडा कर 1 लाख 56 हजार रुपए वार्षिक कर दी है। जबकि इन वर्षों में डाक्टरों के वेतन और स्टाईफन में न-मात्र विस्तार किया गया।     ‘‘फीसें बढ़ाए बिना कालेज नहीं चल सकते और फीसें बढ़ाने का मकसद मैडीकल कालेजों के डाक्टरों को बढिय़ा सहूलतें देना है।’’, सरकारके इस तर्क को पूर्ण तौर पर खारिज करते हुए मीत हेयर ने कहा कि यदि पड़ोसी राज्य हिमाचल, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के मैडीकल कालेज बहुत ही कम फीसों के साथ मैडीकल कालेज चला सकते हैं तो पंजाब क्यों नहीं। मीत हेयर ने कहा कि सरकार स्कूलों, कालेजों और मैडीकल कालेजों की फीसों बढ़ौतरी करके खजाने नहीं भर सकती। खजाने भरने के लिए सरकार को शराब माफिया, रेत माफिया और ट्रांसपोर्ट माफिया समेत सभी तरह के माफीए को नकेल कसनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के कारण बेशक इक्कट्ठ करने से गुरेज करना चाहिए परंतु कोरोना वायरस की आड़ में सरकार की ओर से लिए जा रहे लोक विरोधी फैसलों को नजरअन्दाज नहीं किया जा सकता। इस लिए आम आदमी पार्टी के यूथ विंग ने पंजाब के आम घरों के होनहार विद्यार्थियों के हक में 3 जून 2020 को अमृतसर में मंत्री ओ.पी सोनी की कोठी का घेराव करने का फैसला लिया है।

    प्रैस कान्फ्रेंस के दौरान आरोप लगाते एडवोकेट दिनेश चड्ढा ने कहा कि प्राईवेट मैडीकल कालेजों की फीसों में बढ़ौतरी सीधे तौर पर बड़ा घपला है। चड्ढा ने कागज पेश करते खुलासा किया कि उनकी ओर से दायर की गई जनहित पटीशन माननीय पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने यूनिवर्सिटी ग्रांटस कमीशन को पंजाब के गैर सरकारी कालेजों के वित्तीय खाते जांच करने के लिए कहा था। यू.जी.सी ने अपने 3 सदस्यता समिति से करवाई जांच में पंजाब के गैर सरकारी कालेजों में बड़ी वित्तीय बेनियमियां पाई गई थे। पंजाब के गैर सरकारी कालेज ट्रस्टों के खातों से मर्सिडीज जैसी शाही गाड़ीयां खरीद कर, ट्रस्टों के खातों से सम्पतियां खरीदी गई, अपने परिवारिक सदस्यों को 25-25 लाख का वेतन दिया गया और अपने मन-मर्जी के खर्चे लिखने के बावजूद भी वार्षिक 9 करोड़ रुपए तक सरपलस्स थे। जिस उपरांत यू.जी.सी ने 2014 में पंजाब सरकार को बनती कार्यवाही करने के लिए कहा था, परंतु बार-बार पैरवी करने पर भी न तो पिछली सरकार ने और न ही कांग्रेस ने इस सम्बन्धित कोई कार्यवाही की। बल्कि इस यू.जी.सी की हिदायत को अनदेखा करके प्राईवेट मैडीकल कालेजों को फीसें बढ़ाने की इजाजत दे दी। जो कि सीधे तौर पर पंजाब के लोगों के साथ ठगी है। मीत हेयर समेत ‘आप’ नेताओं ने मांग की है कि पिछली अकाली-भाजपा सरकार से लेकर अब तक सरकारी और प्राईवेट मैडीकल कालेजों की ओर से एम.बी.बी.एस, एम.एस. /एम.डी, डैंटल और नर्सिंग कालेजों की तरफ से वसूली गई फीसों की जांच पड़ताल के लिए हाईकोर्ट की निगरानी में न्यायिक आयोग गठित किया जाए। आदेश यूनिवर्सिटी समेत जितने भी कालेजों की तरफ से माननीय सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों की उल्लंघना करके प्रति विद्यार्थी करोड़ों रुपए की फालतू फीसें वसूला गई हैं, वह ब्याज समेत विद्यार्थियों को वापस करवाई जाएं।

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